ना काट मेरे पंख पिंजड़े के अंधेरों में

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ना काट मेरे पंख पिंजड़े के अंधेरों में... लो उड़ चली मैं अपनी मंजिल की ओर कब तक बांधेगी मेरे पंखों को पिंजरे की ये डोर मैंने अपना रास्ता चुन लिया ...

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